Tuesday, 12 June 2012

बस यूँ ही .......

गम का जहर बस
यूँ ही पिया हमने ..........
रहे साथ-साथ चलते
रेल की पटरी की तरह 
ना तुमने पुकारा हमें ,
ना आवाज़ लगाई कभी हमने .....
ना तुमने हाथ बढाया कभी ,
ना हम ही करीब आये तुम्हारे .......,
ना तुम्हारी खता है,ना मेरी ही ,
बस यूँ ही बे -रंग सा जीवन
जिया हमने ........

6 comments:

  1. ना तुम्हारी खता है,ना मेरी ही ,
    बस यूँ ही बे -रंग सा जीवन
    जिया हमने ........

    वाह,,,, बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,बेहतरीन भाव ,,,,,

    MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,

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  2. उम्दा खुबसूरत
    (अरुन =arunsblog.in)

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  3. दर्द के अहसास से भरी
    गहरे भाव लिए हुए रचना.......

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