अपने साथी को धुंधली नज़रों से चश्मा हटा कर
अपने आंचल की कोर से आंसू पौंछते देख ,
दूसरा साथी अपने झुर्रियों भरे हाथों से
सर पर स्नेहिल स्पर्श रखते हुए ........
क्या आज भी आँखों में कुछ गिर गया या ...!
आखों में क्या गिरना है अब ,
जब हम ही उनकी आँखों में खटकने लगे हैं .......
जिन मासूमो ने गोद को गीला किया था कभी ,
आज उनको मुझमे ही गंध आने लगी है ......
जो कभी हमारी और प्यार से बाहें फैलाते आते थे
उनकी ही आँखों में परायापन सा दिखता है ...
बहते आंसुओं से अब उसका आंचल भी
कम पड़ता लग रहा था .........
वाह क्या बात है
ReplyDeleteअरुन (arunsblog.in)
जो कभी हमारी और प्यार से बाहें फैलाते आते थे
ReplyDeleteउनकी ही आँखों में परायापन सा दिखता है ...
बहते आंसुओं से अब उसका आंचल भी
कम पड़ता लग रहा था .........
...बहुत खूब! बहुत भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी रचना...
waah ....bahut achha citaran kiya hai
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