फुर्सत में जब यादों की
संदूकची खोली
कितने ही
सुहाने पलों ने घेर लिया ...
दो छोटे -छोटे ,नन्हे -नन्हे हाथ
पीछे से आकर गले में आकर
झूल गए ...
कुछ खिलौने ,
कुछ कागज़ की कारों से बनी डायरी ,
कुछ कन्चे,
टूटा हुआ बैट और
टांग टूटा हुआ गुड्डा भी नज़र आया..
ये चमकीले से हीरे जैसे
क्या है भला!
हाथ में लेकर देखा तो हंसी आगई ,
अरे, ये तो उन गिलासों के टुकड़े है
जिनको जोर से पटक कर
दिवाली के पटाखे बना दिए थे ,
और ख़ुशी की किलकारी भी गूंजी कि
पटाखा बजा ...!
पटाखे बजने की ख़ुशी ,
आँखों के साथ -साथ
चेहरे पर भी नज़र आयी थी।
कितने सारे ये मेडल
जो दौड़ में मिले था ,
किसी कीमती हार से कम नज़र
नहीं आया मुझे ...
साईकल पर या छोटी सी कुर्सी पर
बिठाने की जिद करती नज़र आई,
वो शरारती आँखे।
और ये क्या है संदूकची में...!
जो एक तरफ पड़ी है ...
गुलाबी ,चलकीली किनारी वाली
छोटी सी एक गठरी।
हाथों में लिया तो याद आया
ये तो हसरतों की गठरी है ,
जरा सा खोल कर देखा तो
एक नन्ही सी फ्राक ,
छोटी सी नन्हे -नन्हे
घुंघरुओं वाली पायल नज़र आयी,
उनको धीमे से छू कर फिर से
संदूकची में रख दिया।
और फिर बंद कर दिया
धीमे से प्यार से यादों की संदुकची
को ...!
संदूकची खोली
कितने ही
सुहाने पलों ने घेर लिया ...
दो छोटे -छोटे ,नन्हे -नन्हे हाथ
पीछे से आकर गले में आकर
झूल गए ...
कुछ खिलौने ,
कुछ कागज़ की कारों से बनी डायरी ,
कुछ कन्चे,
टूटा हुआ बैट और
टांग टूटा हुआ गुड्डा भी नज़र आया..
ये चमकीले से हीरे जैसे
क्या है भला!
हाथ में लेकर देखा तो हंसी आगई ,
अरे, ये तो उन गिलासों के टुकड़े है
जिनको जोर से पटक कर
दिवाली के पटाखे बना दिए थे ,
और ख़ुशी की किलकारी भी गूंजी कि
पटाखा बजा ...!
पटाखे बजने की ख़ुशी ,
आँखों के साथ -साथ
चेहरे पर भी नज़र आयी थी।
कितने सारे ये मेडल
जो दौड़ में मिले था ,
किसी कीमती हार से कम नज़र
नहीं आया मुझे ...
साईकल पर या छोटी सी कुर्सी पर
बिठाने की जिद करती नज़र आई,
वो शरारती आँखे।
और ये क्या है संदूकची में...!
जो एक तरफ पड़ी है ...
गुलाबी ,चलकीली किनारी वाली
छोटी सी एक गठरी।
हाथों में लिया तो याद आया
ये तो हसरतों की गठरी है ,
जरा सा खोल कर देखा तो
एक नन्ही सी फ्राक ,
छोटी सी नन्हे -नन्हे
घुंघरुओं वाली पायल नज़र आयी,
उनको धीमे से छू कर फिर से
संदूकची में रख दिया।
और फिर बंद कर दिया
धीमे से प्यार से यादों की संदुकची
को ...!
waah.....sakhi....bachon ka bachpan yaad aa gaya....
ReplyDeleteये मैंने पहले भी पढ़ी थी , दिल में उतरने वाली प्यारी संदुकची , .....सुन्दर ! उपासना ....
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