Sunday, 8 April 2012

प्रेम


कहते हैं के जब कोई प्रेम
 में होता है तो 
उसे आसमान का रंग
 नीले से बैंगनी या गुलाबी 
नज़र आने लगता है ......
पर यह भी तो कहा जाता है 
के जब कोई प्रेम 
में होता है तो उसे कुछ भी 
नज़र नहीं आता ,
प्यार  अँधा होता है 
और  उसे अपने प्रिय के
 सिवाय कुछ भी तो दिखाई
 देता नहीं है
 तो फिर ये रंग ,कैसे भी हो
 क्या फर्क पड़ता है .........
वह तो बस अपनी आँखों में 
अपने प्रिय की छवि को बसाये 
पलके मूंदे रखता है ........
अँधा नहीं बनता वह,
 बस कहीं अपने प्रिय की छवि 
उसकी आँखों से दूर ना हो इसीलिए 
उन्हें मूंदे रखता है ........

4 comments:

  1. "बस कहीं अपने प्रिय की छवि
    उसकी आँखों से दूर ना हो इसीलिए
    उन्हें मूंदे रखता है.."
    .............बहुत सुंदर पंक्तियाँ..

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  2. प्यार अँधा होता है
    और उसे अपने प्रिय के
    सिवाय कुछ भी तो दिखाई
    देता नहीं है
    तो फिर ये रंग ,कैसे भी हो
    क्या फर्क पड़ता है ........

    ...बहुत खूब ! बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...

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  3. बेहद खूबसूरती से पिरोई दिल को छू जाने वाली रचना. आभार.

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