कहते हैं के जब कोई प्रेम
में होता है तो
उसे आसमान का रंग
नीले से बैंगनी या गुलाबी
नज़र आने लगता है ......
पर यह भी तो कहा जाता है
के जब कोई प्रेम
में होता है तो उसे कुछ भी
नज़र नहीं आता ,
प्यार अँधा होता है
और उसे अपने प्रिय के
सिवाय कुछ भी तो दिखाई
देता नहीं है
तो फिर ये रंग ,कैसे भी हो
क्या फर्क पड़ता है .........
वह तो बस अपनी आँखों में
अपने प्रिय की छवि को बसाये
पलके मूंदे रखता है ........
अँधा नहीं बनता वह,
बस कहीं अपने प्रिय की छवि
उसकी आँखों से दूर ना हो इसीलिए
उन्हें मूंदे रखता है ........
"बस कहीं अपने प्रिय की छवि
ReplyDeleteउसकी आँखों से दूर ना हो इसीलिए
उन्हें मूंदे रखता है.."
.............बहुत सुंदर पंक्तियाँ..
प्यार अँधा होता है
ReplyDeleteऔर उसे अपने प्रिय के
सिवाय कुछ भी तो दिखाई
देता नहीं है
तो फिर ये रंग ,कैसे भी हो
क्या फर्क पड़ता है ........
...बहुत खूब ! बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
बेहद खूबसूरती से पिरोई दिल को छू जाने वाली रचना. आभार.
ReplyDeletebahut sunder
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