कोई है
जो है
अपना सा
मगर
है वह
अनजाना सा ...
हर रोज
पाती लिखी जाती है
उसे ...
हर रोज
दुआ में हाथ उठते हैं
सलामती की
होती है
एक दुआ
उसके नाम की भी
मगर
जाना-अनजाना
बेखबर है
मगन है
कहीं दूर
बहुत ही दूर ...
थोड़ा बहरा भी है
शायद
नहीं सुनती
उसे
मंदिर की घंटियां
ह्रदय की पुकार ही ...
वह बन बैठा है
रब जैसा ,
शायद
नहीं यकीनन ही
बन बैठा है
रब जैसा ही ...
रब
जैसे ही वह
दिखाई देता है
मगर
सुनाई नहीं देता ,
सुनवाई भी नहीं करता !
अब भगवान भी किस किस की सुने न
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर....
ReplyDeletewah!
ReplyDeleteरब
ReplyDeleteजैसे ही वह
दिखाई देता है
मगर
सुनाई नहीं देता ,
सुनवाई भी नहीं करता !
बेहतरीन ! बहुत ही सुन्दर लिखा है अपने ब्लॉग में आपने। इसके लिए आपका दिल से धन्यवाद। Visit Our Blog Zee Talwara
थोड़ा बहरा भी है
ReplyDeleteशायद
नहीं सुनती
उसे
मंदिर की घंटियां
ह्रदय की पुकार ही ...
Mahadev Photo
behtreen rachna, thanks
ReplyDeleteZee Talwara
Zee Talwara
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