एक दिन
जब
यह धरा नहीं रहेगी,
जब
यह धरा नहीं रहेगी,
धरा को घेर लेने वाले
ग्रह-नक्षत्र
नहीं रहेंगे ,
ग्रह-नक्षत्र
नहीं रहेंगे ,
धरा को नापने वाले
दोनों ध्रुव
नहीं रहेंगे ,
दोनों ध्रुव
नहीं रहेंगे ,
धरा को
ढ़क लेने वाले
वृक्ष, नदियाँ - सागर
भी नहीं रहेंगे ,
ढ़क लेने वाले
वृक्ष, नदियाँ - सागर
भी नहीं रहेंगे ,
प्रेम
तुम तब भी रहोगे |
तुम तब भी रहोगे |
सही कहा
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/04/67.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteशाश्वत सत्य ,प्रेम तुम फिर भी रहोगे
ReplyDelete