ना मिलने के
दिन याद ,
ना ही बिछड़ने के
दिन याद ,
याद रहे तो
बस तुम।
शायद ,
जाते हुए
पतझड़ में
बहार से
आये थे तुम।
जाती हुयी
बहार में
चले भी गए थे।
यह मिलना -बिछुड़ना ,
दशकों की
बिछुड़न है
या
सदियों की ही
बिछुड़न है।
या हमेशा-हमेशा की।
फिर भी
इंतज़ार है
एक और
फिर से जाते हुए
पतझड़ में ,
आती हुई बहार का।
सुंदर रचना
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