Sunday 17 February 2019

अब तुम ही बतालओ

सुनो
आज सपने में देखा
जा रही हूँ
मैं
एक लम्बी सड़क पर
नीम अंधेरा है..

सड़क पर
एक हरा ,ताजा
टहनी से टूटा हुआ
बड़ा सा लट्ठ..

अंधेरे से डरने वाली को
सहारा है यह लट्ठ..

दूर - लम्बी सड़क पर
खड्डा नजर आता है
और
खड्डे में है पानी भरा..

खड़ी रहती हूँ
मैं
किन्कर्तव्यमूढ़ सी ..

लगा था मुझे
यह सड़क
जरिया होगी
सपने में ही सही,
तुमसे मिलने की..

अब तुम ही
बतलाओ जरा
सपने को बूझो जरा
तुम तक आऊँ तो कैसे भला !

3 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 136वां बलिदान दिवस - वासुदेव बलवन्त फड़के और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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