देह के पञ्च तत्वों में
विलीन हो जाने पर भी
खोजती है
उसे , उस घर का आँगन
उस घर की दीवारें
उस घर का छोटा सा आसमान,
सुनना चाहती है
उसके कदमों की आहट भी...
खोजती है
उसे , उस घर का आँगन
उस घर की दीवारें
उस घर का छोटा सा आसमान,
सुनना चाहती है
उसके कदमों की आहट भी...
वह नहीं लौटेगी
यह सच मालूम है फिर भी,
तो
क्या सच में भुला दिया जाता है
किसी देह को ,
उसका पंच तत्वों में
विलीन हो जाने पर...
यह सच मालूम है फिर भी,
तो
क्या सच में भुला दिया जाता है
किसी देह को ,
उसका पंच तत्वों में
विलीन हो जाने पर...
शायद नहीं,
क्योंकि
देह से विलग आत्मा
समा जाती है
घर के कोने-कोने में,
कण-कण में
बरसाती है प्रेम और स्नेह का
आशीर्वाद |
क्योंकि
देह से विलग आत्मा
समा जाती है
घर के कोने-कोने में,
कण-कण में
बरसाती है प्रेम और स्नेह का
आशीर्वाद |
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