इश्क में तेरे
बदल लिया है वेश
फिरते हैं दर दर
तलाश में तेरी
दरस को तेरे
तरसे मेरे नैन
बस इक झलक
पा जाए
तर जाऊँ
भवसागर से
वेद पुराण
सब पीछे छोड़े
लिया है बस इक
तेरा नाम....
बदल लिया है वेश
फिरते हैं दर दर
तलाश में तेरी
दरस को तेरे
तरसे मेरे नैन
बस इक झलक
पा जाए
तर जाऊँ
भवसागर से
वेद पुराण
सब पीछे छोड़े
लिया है बस इक
तेरा नाम....
badhiya di...namste
ReplyDeleteवाह.. बहुत खूब
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 11 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteबदल दिया है भेष !!
ReplyDeleteसुन्दर कविता
वाह.. बहुत खूब
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