हवाओं पर लिखी
चिट्ठियों के जवाब,
लाती भी हवाएं ही हैं
चिट्ठियों का जवाब
आएगा
यही उम्मीद
मजबूर कर देती है
चिट्ठी लिखने को
फिर से...
हवाएं ले आती है
जवाब में मुस्कान ,
मुस्कान से क्या अर्थ !
हर शब्द बोलता है जैसे ,
मुस्कान भी भेद खोल देती है
वैसे ही
मुस्कान कभी रुकने का
कभी पलट कर देखने
कभी आगे बढ़ने को
या फिर
आगे बढ़ जाने का संकेत करती ...
कभी -कभी ये मुस्कान
रुला भी जाती है
आंसू से नम
चिट्ठी से
हवा भी नम हो उठती है...
एक भीगा सा
सन्देश ले उड़ती है
फिर से जवाब आने की आस लिए ..
बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : उत्सवधर्मिता और हमारा समाज
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (26-10-2013) "ख़ुद अपना आकाश रचो तुम" चर्चामंच : चर्चा अंक -1410” पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
सुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीया-
bahut sundar prastuti... muskaan laati rachna :)
ReplyDeleteमुस्कराहट के भी कितने रंग...... बहुत बढ़िया
ReplyDeleteकोमल भावपूर्ण रचना...
ReplyDelete:-)
ये विजेट सफलतापूर्वक अपने ब्लॉग पर स्थापित करने के बाद "टिप्स हिंदी में" ब्लॉग पर टिप्पणी अवश्य दें |
ReplyDeleteसशक्त बिम्बात्मक अभिव्यक्ति हवाओं के नाम
हवाओं पे लिख दो हवाओं के नाम ...
बहुत खुबसूरत रचना .....
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी रचना उपासना जी
ReplyDeleteबेहद संवेदनशील मन की कहानी..., प्रभावशाली !!
ReplyDeleteबहुत सुंदर और उम्दा अभिव्यक्ति...बधाई...
ReplyDeleteखुबसूरत रचना ...उपासना जी
ReplyDeleteउम्दा उपासना जी
ReplyDeletenice
ReplyDelete