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Monday, 7 November 2016

और तुम मुस्कुरा देना

आऊं नज़र तुम्हें 
कभी , तो
नजरें न चुरा लेना...

देख लेना
बस नज़र भर के
और
मुस्कुरा देना...

सोचो तो जरा
कोहरा छा जाने से,
कम तो नहीं हो जाता
सूरज का वजूद ...

दूर हो जाने से
दूर चले जाने से 
कम तो नहीं हो जाता
तुम्हारे होने का अहसास...

बस यही सोच कर
मुझे याद कर के
मुस्कुरा देना....

5 comments:

  1. सच वजूद सबका होता है ... उपेक्षा कचोटती है मन को
    बहुत सुन्दर

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  2. सुन्दर रचना

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  3. चाहे दूर ही हो, लेकिन कोई हमें चाहता है, यह एहसास ही दिल को सकून देता है। सुन्दर प्रस्तुति।

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  4. ह्रदय-स्पर्श करने वाली कविता

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  5. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ..... very nice ... Thanks for sharing this!! :) :)

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