प्रेम के जो बीज,
मुट्ठी में बंद किए थे,
वे बीज दिए मैंने
सूनी , उदास धरा पर ।
रंग भरे
प्रेम के बीज
खेत की मेंढ पर
एक -एक कर के
बीज दिए है ।
कुछ यूँ ही
हथेली में रख
धरा पर
बिखरा दिए ।
एक दिन जरूर
नवांकुर फूटेंगे
रंग भरे बीजों से
खिल जाएगी यह धरा ।
एक-एक मेंढ
खिलेगी प्रेम के रंगों से,
खिले रंगों के ,
रंग भरी
चूनर ओढ
खिलखिला पड़ेगी यह धरती भी ।
मुट्ठी में बंद किए थे,
वे बीज दिए मैंने
सूनी , उदास धरा पर ।
रंग भरे
प्रेम के बीज
खेत की मेंढ पर
एक -एक कर के
बीज दिए है ।
कुछ यूँ ही
हथेली में रख
धरा पर
बिखरा दिए ।
एक दिन जरूर
नवांकुर फूटेंगे
रंग भरे बीजों से
खिल जाएगी यह धरा ।
एक-एक मेंढ
खिलेगी प्रेम के रंगों से,
खिले रंगों के ,
रंग भरी
चूनर ओढ
खिलखिला पड़ेगी यह धरती भी ।
कुछ यूँ ही
ReplyDeleteहथेली में रख
धरा पर
बिखरा दिए ।
एक दिन जरूर
नवांकुर फूटेंगे
रंग भरे बीजों से
खिल जाएगी यह धरा ।
आशा ही जीवन को सम्बल देती है ! सुन्दर प्रस्तुति
प्रेम के बीज
ReplyDeleteमुट्ठी में बंद किए थे
वे बीज दिए मैंने
सूनी , उदास धरा पर ।
बहुत सुंदर..भाव पूर्ण रचना..
एक-एक मेंढ
ReplyDeleteखिलेगी प्रेम के रंगों स,े
बिखरे बीजों से
रंग भरी
चूनर ओढ
खिलखिला पड़ेगी यह धरती भी ।
बहुत सुन्दर.
निराशा में आशा के बीज बोती कविता
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना
http://savanxxx.blogspot.in
बहुत खूब ,
ReplyDeleteएक दिन जरूर
ReplyDeleteनवांकुर फूटेंगे
रंग भरे बीजों से
खिल जाएगी यह धरा ।
आखिर सपने ही सच होते हैं. सुंदर प्रस्तुति.