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Saturday, 9 March 2013

मैं शिव ...

मैं शिव ...!
तुम्हारे हृदय में 
बसने वाला ...
तुम्हारे हृदय के 
हर तार 
हर भाव को समझने वाला ......

रे मानव ...!
तू तो जानता है 
बिना मेरे या 
बिना शिव के ,
तुम्हारी देह मात्र 
शव ही तो है ...!

मैं उलझ जाता हूँ 
जब तू  चला आता है 
अपने अंतःकरण में 
लिए उलझनों का 
अम्बार ...

तब 
शीतल जल और दुग्ध 
नहीं कर पाते मुझे शीतल 
शांत ही मन जब ना हो 
तुम्हारा ...

मन शांत भी कैसे हो तुम्हारा 
मन बैठे मुझी को तुम 
करते को रखने से इंकार ,
बसाये रखते हो 
उलझनों का अम्बार ...

एक बार तू 
मुझसे बतिया कर 
मुझी से कह अपने मन 
की बात ..
मैं हर लूँगा तुम्हारा हर 
दुःख -संताप ...

रे मानव ...!
तुम्हारे इस संकीर्ण हृदय में 
केवल शिव ही
 बस सकता है  या फिर 
मायावी उलझने ...

शिव है तो तू है 
नहीं तो तू शव के 
सामान ही है ...
.




27 comments:

  1. Replies
    1. आभार , अज़ीज़ जौनपुरी जी

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  2. shiv hai to tu hai....:)
    bahut behtareenn....
    shubhkamnayen..

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  3. जय हो भोले नाथ की!
    जय हो भोले की भक्त उपासना जी की!

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    1. आभार , सुमित प्रताप जी

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  4. सुन्दर प्रस्तुति,महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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    1. आभार , राजेंद्र कुमार जी

      आपको भी मंगल कामनाए ......

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  5. बहुत सुन्दर उपासना जी .. जय भोले नाथ

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  6. बहुत खूब ...शिवमय रचना

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  7. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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    1. आभार , कालीपद जी .....आपको भी मंगल कामनाएँ

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  8. बढ़िया -
    आभार आदरेया -
    हर हर बम बम -

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  9. बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...महा शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!

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    1. आभार कैलाश शर्मा जी ....

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  10. सुन्दर अभिव्यक्ति....
    :-)

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  11. प्रभावशाली अंतर्मन की व्याख्या हर हर महादेव

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    1. आभार , रमाकांत सिंह जी

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  12. jeevan ke gehan dharatal ki anubhuti shiv ka aaj se sarokar karati rachna
    sunder

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    1. आभार , ज्योति खरे जी ..

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  13. आभार , रूपचंद्र शास्त्री जी

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  14. माटी के तन में निवसित शिवतत्व ही वरेण्य हैं -आपका संदेश इस महानिशा को दीपित करे!

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  15. आभार , प्रतिभा जी ...

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