Pages

Wednesday, 27 February 2013

ये पर्वत..


ये पर्वत, सफ़ेद रुई
 जैसी बर्फ से घिरे ऐसे लगे 

जैसे ...बूढी नानी की गोद 
जिसमे बैठ कर 
कहानी सुनते -सुनते सो जाएँ ............

 जैसे... माँ की गोद 
जिसमें बैठ कर 
सारी थकान भूल जाएँ ........

जैसे... पिता का मजबूत सहारा ,
जहाँ हर दुःख दूर हो जाये ........

जैसे ...प्यारी सखी का संग 
जिसके डाल गलबहियां 
बतिया ले हर दुःख-सुख ....

जैसे .....प्रियतम का साथ जिसके 
आगोश में हर गम भुला दें ......

Saturday, 23 February 2013

धमाकों की दहशत


    • धमाकों की दहशत से मची
      अफरातफरी .....
      कोई गिरा ,
      कोई गिर कर उठा ,
      लडखडाता हुआ
      फिर से चल पड़ा
      और कोई दुनिया से ही उठ
      गया ....

      हर कोई दूर बैठे किसी
      अपने के लिए
      फिक्रमंद था....

      किसी ने कविता लिखी ,
      किसी ने नेताओं को ,
      तो किसी ने भ्रष्टाचार को ही
      कोस डाला .....

      किसी ने कहा इस देश का
      कुछ नहीं हो सकता ....

      किसी ने टीवी चेनल
      पर मरने वालों का स्कोर
      देख ,
      कुछ सच्ची ,
      कुछ अनमनी सी
      आह भर कर चेनल बदल
      दिया .....

      चलो कोई मूवी ही
      देख ले ....
      ऐसा तो यहाँ
      होता ही रहता है ....

      धमाकों के शोर से
      जागी -उनींदी
      जनता फिर से सो गयी
      शायद और बड़े धमाके के इंतज़ार में....

Sunday, 17 February 2013

जिन्दगी में बस जीना होता है .....

जिन्दगी में
मिलता नहीं कुछ भी
 जब जो भी चाहा ...

जिन्दगी में
मिल जाता है वह सब
जो कभी नहीं चाहा  ...

जिन्दगी में
चाह और अनचाह का
विकल्प होता है किसी
और के पास ...

जिन्दगी में
मिलता नहीं मौका
दुबारा फिर कभी

जिन्दगी में
गए  पल फिर नहीं मिलते
ना ही मिलता उन पलों पर अधिकार ही

जिन्दगी में
बिताएं पलों पर भी 
और
आने वाले पलों पर भी
अधिकार किसी और
का होता है 

जिन्दगी में
मिलता कहाँ है
कोई अपना और अपनापन
देने वाला

जिन्दगी में
बस जीना होता है
जैसे बेजान कठपुतलियाँ सी
किसी और के हाथों डोर थमाए ..





Sunday, 3 February 2013

वह तुम हो ...!


हर जगह ,हर तरफ 
बहुत लोग है ,
गहमागहमी है लोगों 
की हर तरफ
हर जगह ....
फिर भी मुझे ऐसा 
क्यूँ लगता है 
हर तरफ , हर जगह 
एक जगह तो 
रिक्त है ...
वह  तुम हो ...!
शायद तुम  ही हो ,
नहीं 'शायद' नहीं , 
सच में ही तुम 
ही हो ....
जिसकी कमी मुझे 
खलती रही है 
हर तरफ, हर जगह ....