मतलब से बनी
यह दुनिया
मतलब तक ही
सिमटी है ...
कौन किसका यहाँ
सब मतलब से
ही मिलते है ....
जब तक मतलब
निभता है
मुस्कुराते है
गुनगुनाते है
प्य्रार -प्रेम भी
जतलाते हैं
मतलब निकला
अजनबी बन जाते है
अनदेखी-अनसुनी कर
निकल जाते हैं .....
मतलबी दुनिया में
मुस्कुराते चेहरों में
कौन सच्चा - कौन झूठा
मतलब पड़ने पर
पहचान पाते हैं ....
जो मतलब निकलने पर
गुम हो जाते हैं ....
यह दुनिया
मतलब तक ही
सिमटी है ...
कौन किसका यहाँ
सब मतलब से
ही मिलते है ....
जब तक मतलब
निभता है
मुस्कुराते है
गुनगुनाते है
प्य्रार -प्रेम भी
जतलाते हैं
मतलब निकला
अजनबी बन जाते है
अनदेखी-अनसुनी कर
निकल जाते हैं .....
मतलबी दुनिया में
मुस्कुराते चेहरों में
कौन सच्चा - कौन झूठा
मतलब पड़ने पर
पहचान पाते हैं ....
जो मतलब निकलने पर
गुम हो जाते हैं ....
ye sari duniya matlab ki hi hai upasna rachna achchi hai satik hai
ReplyDeleteमतलब निकल गया पहचानते नही,
ReplyDeleteवो जा रहे है ऐसे जैसे जानते नही,,,,
recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
sahi kaha aapne matlabi hai log yahan aur ham bhi matlabi ho gaye hai
ReplyDeleteसच सारे रिश्ते मतलब के ही हो चले हैं अब तो
ReplyDeleteसारे लोग मतलबी नहीं होते ...
ReplyDeleteहाँ, लेकिन मतलबी लोगों की तादाद अधिक है ....
सुन्दर भावाभियक्ति ...
साभार !
लाजबाब,सुन्दर भावाभियक्ति ...
ReplyDeleterecent post : बस्तर-बाला,,,