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Sunday, 13 January 2013

मतलब से बनी यह दुनिया .....

मतलब से बनी
यह दुनिया
मतलब तक ही
सिमटी है ...
कौन किसका यहाँ
सब मतलब से
ही मिलते है ....

जब तक मतलब
निभता है
मुस्कुराते है
गुनगुनाते है
प्य्रार -प्रेम भी
जतलाते हैं
मतलब निकला
अजनबी बन जाते है
अनदेखी-अनसुनी कर
निकल जाते हैं .....


मतलबी दुनिया में
मुस्कुराते चेहरों में
कौन सच्चा - कौन झूठा
मतलब पड़ने पर
पहचान पाते हैं ....
जो मतलब निकलने पर
गुम  हो जाते हैं ....



6 comments:

  1. ye sari duniya matlab ki hi hai upasna rachna achchi hai satik hai

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  2. मतलब निकल गया पहचानते नही,
    वो जा रहे है ऐसे जैसे जानते नही,,,,

    recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...

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  3. sahi kaha aapne matlabi hai log yahan aur ham bhi matlabi ho gaye hai

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  4. सच सारे रिश्ते मतलब के ही हो चले हैं अब तो

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  5. सारे लोग मतलबी नहीं होते ...
    हाँ, लेकिन मतलबी लोगों की तादाद अधिक है ....
    सुन्दर भावाभियक्ति ...
    साभार !

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