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Sunday, 29 April 2012

परायापन


अपने साथी को धुंधली नज़रों से चश्मा हटा कर
 अपने आंचल की कोर से आंसू पौंछते देख ,
दूसरा साथी अपने झुर्रियों भरे हाथों से
सर पर स्नेहिल स्पर्श रखते हुए ........
क्या आज भी आँखों में कुछ गिर गया या ...! 
आखों में क्या गिरना है अब ,
जब हम ही उनकी आँखों में खटकने लगे हैं .......
जिन मासूमो ने गोद को गीला किया था कभी ,
आज उनको मुझमे  ही गंध आने लगी है ......
जो कभी हमारी और प्यार से बाहें फैलाते आते थे 
उनकी ही आँखों में परायापन सा दिखता है ...
बहते आंसुओं से अब उसका आंचल भी
कम पड़ता लग रहा था .........

3 comments:

  1. वाह क्या बात है
    अरुन (arunsblog.in)

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  2. जो कभी हमारी और प्यार से बाहें फैलाते आते थे
    उनकी ही आँखों में परायापन सा दिखता है ...
    बहते आंसुओं से अब उसका आंचल भी
    कम पड़ता लग रहा था .........

    ...बहुत खूब! बहुत भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी रचना...

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