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Tuesday, 29 September 2015

स्त्री प्रेम में क्यों कर कुलटा कहलाई ..

स्त्री ने लिखा
विश्वास
बेटी कहलाई।

स्त्री ने  लिखा
स्नेह
बहन कहलाई।

स्त्री ने  लिखा
समर्पण
पत्नी  कहलाई।

स्त्री ने  लिखा
ममता
माँ कहलाई।

स्त्री ने  लिखा
प्रेम !
तन गई
भृकुटियाँ,
उठ गई उंगलियाँ कई,
कुलटा कहलाई।

विश्वास
स्नेह
समर्पण
और ममता
प्रेम से इतर तो नहीं
फिर
स्त्री प्रेम में
क्यों कर
कुलटा कहलाई।


5 comments:

  1. बहुत सुंदर भावनायें .बेह्तरीन अभिव्यक्ति

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  2. पुरूषों ने युगो से बनाई एकतरफा धारणा जो चली आ रही है उस मानसिकता को बदलने में समय तो लगेगा...
    चिंतनशील रचना

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  3. स्त्री जब कुछ अपने मन का सोचने लगती है तब हर कोई उसका दुश्मन बन जाता है । बहुत गहरे भाव लिए हुए । बहुत सुंदर ।

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  4. आज तक स्त्री पुरुष के बनाये मापदंडो पर ही मापी जाती है ।विचारनिय रचना

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  5. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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