स्त्री
सदैव खड़ी कर दी जाती है
सवालों के कटघरे में
सदैव खड़ी कर दी जाती है
सवालों के कटघरे में
जवाब को उसके
सफाई मान लिया जाता है
तो
खामोशी को उसका
जुर्म...
सफाई मान लिया जाता है
तो
खामोशी को उसका
जुर्म...
तीर जैसे सवालों को
सुनती, सहती है वह
अडिग ,
मुस्कराते हुए ...
सुनती, सहती है वह
अडिग ,
मुस्कराते हुए ...
स्त्री अडिग ही रही
सदैव
लेकिन
असहनीय है धरा के लिए
स्त्री का
यूँ मुस्कुरा कर
सहन करना ।
सदैव
लेकिन
असहनीय है धरा के लिए
स्त्री का
यूँ मुस्कुरा कर
सहन करना ।
विदीर्ण हो जाता है
हृदय ,
और डोल जाती है धरती
आ जाता है
भूचाल....!
हृदय ,
और डोल जाती है धरती
आ जाता है
भूचाल....!