Pages

Tuesday, 23 September 2014

काश कोई ऐसा संत सच में हो...

सुबह का समय
इंतजा़र एक सीटी की
कर्कश आवाज़ का...

सुन कर लोग
निकल आते हैं घरों से
जैसे
दवा डाल देने पर
कॉक्रोच।

हाथों में
अपने ही घर का कूड़ा लिए
और नाक ढके या
सांस रोके....

कूड़े वाला
चुप ,निर्विकार संत सा
सबका कूड़ा
इकट्ठा ,
एकसार करता
आगे बढ़ जाता ..

सोचती हूँ
काश कोई ऐसा संत
सच में हो
जो मानव हृदय के
कूड़े को कहीं दूर ले जाकर
फैंक दे ।

3 comments: