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Friday, 24 January 2014

यह ईश्वर का प्रेम है या श्राप !

ईश्वर की सबसे
खूबसूरत कृति है
इंसान
ऐसा ही कहा जाता है

ना केवल खूबसूरत
बल्कि
प्रेम भी अधिक है उसे
इंसान से
यह भी माना  जाता है या भ्रम मात्र ही है

प्रेम है  या नहीं है
या
शायद  उसे प्रेम ही है
इंसान से ,
तभी तो हृदय बनाया उसने ,
उसमें !

हृदय बना कर
ईश्वर ने
कभी न पूरी होने वाली
आशाएं -उम्मीदें जगाई
अपनों को अपना समझने का भरम भी जगाया
ये कैसा प्रेम है ईश्वर का

कभी लगता है
यह ईश्वर का
प्रेम है या श्राप !
कैसे उलझन में उलझाये रखता है

इंसान धरा पर यूँ ही
घूमता है शापित सा
ह्रदय में ईश्वर का प्रेम लिए
और चेहरे पर संताप  .... !





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