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Friday, 28 June 2013

जब कटे हो मेरे अपने ही पंख ...


सुनो बेटी.........!
अब  मैं नहीं सुनूंगी 
 कोई भी पुकार -फरियाद
तुम्हारी
ना ही  पढूंगी अब मैं
 कोई भी पाती तुम्हारी ...

तुम्हें क्यूँ कर जन्म दूँ
जब मैंने ,
कोई भी - कभी भी
किया नहीं कोई प्रतिकार
अपने ही घर में
जब हुआ
किसी और स्त्री पर अत्याचार ...

बन रही मूक की भांति
बेजुबां
जबकि मेरे पास भी थी
एक जुबां ,
रही  मैं तब भी बन मूक
जब हुआ किसी परायी बेटी
पर अत्याचार ...

ना देख पाउंगी
 अब मैं तुम्हारे साथ
 कोई होते अत्याचार -दुराचार
अब मेरी "सोच की"  भी
आत्मा थर्राती है ...

तुम्हें
 खुला आसमान ,
मज़बूत धरती
देते हुए डर सताएगा
मुझे भी अब ,
क्यूंकि

 मैंने नहीं सिखाया तुम्हारे
भाइयों को स्त्री का आदर
करना ...!

 जब कटे हो
मेरे अपने ही पंख ,
जब बंद हूँ खुद ही पिछड़ी सोच के
पिंजरे में
नहीं दे सकती जब तुम्हें मैं एक
 खुला आसमान
तब तक तुम जन्म न ही लो ...




22 comments:

  1. बहुत ही मार्मिक रचना ,भावपूर्ण ………एक सुन्दर रचना के लिये आपका शुक्रिया बहिन जी …

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  2. बहुत ही सुन्दर रचना ,आभार

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  3. बहुत ही मार्मिक रचना सुंदर अभिव्यक्ति .......!!

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  4. प्रत्येक पुत्री प्रिय मात-पिता के मन के दर्द की सुंदर अभिव्यक्ति

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  5. बहुत सुंदर ओर सही बात ओर शीर्षक भी सार्थक ...बधाई उपासना सखी

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  6. इसकी कविता का दूसरा हिस्सा आना जरूरी है। स्त्री विमर्श से चेतित हो गई है और कह रही है कि 'अब तुम जन्म ले ही लो।'
    मुझे इस कविता का इंतजार रहेगा कारण आने वाले को नकारने का अधिकार हमें है नहीं। जिसको आप नकार रही है कविता में उसका आना जरूरी है। साथ ही जिंदा मांस बनी स्त्री के होंठ भी खुलने चाहिए मांगे और अधिकार के लिए भी।

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  7. मार्मिक रचना

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  8. ' जब बंद हूँ पिछड़ी सोच के पिंजरे में ' ,
    सच है , उपासना .....

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  9. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (30-06-2013) के चर्चा मंच 1292 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  10. कटु सत्य बताती मार्मिक रचना

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  11. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती आभार ।

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  12. बहुत ही सार्थक सन्देश देने का सफल प्रयोग है यह कविता, हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ

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  13. मार्मिक सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती

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  14. बहुत मर्मस्पर्शी रचना...

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  15. मार्मिक भाव पूर्ण रचना बधाई

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  16. आपकी पोस्ट को आज के बुलेटिन चवन्नी की विदाई के दो साल .... ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ...आभार।

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  17. बहुत सुंदर रचना
    बहुत सुंदर

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  18. jab mere hi pankh kate hon....behud sarthak rachna..

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  19. ka rva sach bayan kiya aapne .
    kripya mere blog par bhi padhare.

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