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Saturday, 4 May 2013

साथ छूट गया बरसों के इंतजार का ........

ख़त्म हुआ इंतजार ...!
एक पत्नी का 
एक बहन का 
और 
बेटियों का भी ...! 

इंतजार था 
एक सुबह वह भी आएगी 
जब सूरज उगेगा 
ऐसा भी ,
लाएगा साथ अपने 
एक ख़ुशी की किरण ...

किरणों पर होगा एक पैगाम 
आने का 
उसका जो , उनका अपना प्रिय है 
आँखों का तारा है ,
चला  आएगा राखी के तारों से बंधा 
अब खत्म हो गया इंतजार 
उन राखियों का भी ...

इंतजार था उसे भी 
उस चंदा का ,
जाने कितने करवा -चौथ के 
चाँद वारे होंगे उसकी चाह में 
अब खत्म हो गया इंतजार
 उस चाँद का भी ,
लील गया उसे भी एक गम का 
घना बादल ...!

बेटियां भी रह गयी 
बस ताकती सूनी राह 
तरसी थी बचपन से ही 
जिसकी बाहों में झूला झूलना ,
अब इंतजार था जिन  बाँहों का 
जो डोली में बैठाती 
ख़त्म हो गया उन बाँहों का इंतजार,
 छूट गया साथ ...

साथ छूट गया एक आस का 
बरसों के इंतजार का ........






16 comments:

  1. सटीक अभिव्‍यक्ति ..
    एक आशा के सहारे सब जी रहे थे ..
    वो आशा टूटकर चकनाचूर हो गयी !!

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  2. बहुत सुन्दर भावना प्रधान ..

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  3. पर एक इंतज़ार अब भी बाकि है

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (05-05-2013) आ गये नेता नंगे: चर्चा मंच 1235 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. साथ छुट गया बरसों के इंतजार का अच्छी अभिव्यक्ति....

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  6. बहुत ही सटीक और मार्मिक अभिव्यक्ति,सादर आभार.

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!

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  8. बहुत उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,

    RECENT POST: दीदार होता है,

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  9. वहम में जीता इंसान

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  10. कुछ इंतज़ार उम्र भर के लिये इंतज़ार ही बने रह जाते हैं।

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  11. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए आभार...!

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  12. सटीक रचना सच्ची श्रधांजलि

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  13. कितना कुछ अधूरा छोड़ गये सर्वजीत,क्यों -उत्तर कौन देगा ?

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  14. बहुत सुन्दर सटीक प्रस्तुति..सर्वजीत को सच्ची श्रधांजली..

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  15. marmik prastuti.....sahi kaha apne bahut kuch adhura reh gaya...aur koi kuch nahi kar paya

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