Pages

Thursday, 30 May 2013

जिन्दगी तुझसे क्या सवाल - क्या शिकायत करूँ...

जिन्दगी तुझसे क्या
 सवाल करूँ , क्या शिकायत करूँ
तुझसे जैसा चाहा
 वैसा ही पाया ...

फूल चाहे तो फूल ही मिले
फूलों में काँटों की शिकायत
तुझसे क्यूँ करूँ ,
मेरी तकदीर के  काँटों की
 शिकायत  तुझसे क्यूँ करूँ ...

सितारों भरा आसमान
चाहा तो भरपूर सितारे मिले
कुछ टूटे बिखरे सितारों की शिकायत
तुझसे क्यूँ करूँ ,
मेरी तकदीर के टूटे सितारों
की शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ ...

जिंदगी हर कदम पर तूने
दिया साथ मेरा ,
मंजिल पर आकर राह भटक  गयी
शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ
मंजिल के लिए तरसना मेरी तकदीर
शिकायत तुझसे क्या करूँ ...

14 comments:

  1. बहुत उम्दा,लाजबाब प्रस्तुति,,उपासना जी

    Recent post: ओ प्यारी लली,

    ReplyDelete
  2. बहुत भावमयी अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  3. बहुत खूब मंजिले कदम चूम लेंगी उत्साह बना रहने
    चाहिए,बुलेटि क शोभा बढ़ाने हेतु बधाई

    ReplyDelete
  4. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए शनिवार 01/06/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  5. sikayat kyun karun
    BEAHATARIN ABHIWYAKTI

    ReplyDelete
  6. बहुत बढिया अभिव्यक्ति !!!

    ReplyDelete
  7. बहुत भाव पूर्ण रचना...मेरी नई पोस्ट...".ज़रा अज़मां कर देखिए "

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (31-05-2013) के "जिन्दादिली का प्रमाण दो" (चर्चा मंचःअंक-1261) पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  9. बहुत सुन्दर .................कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता

    ReplyDelete
  10. बहुत भाव पूर्ण रचना,बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  11. शिकायत करनी भी नहीं चाहिए ..सुंदर रचना ..

    ReplyDelete
  12. बहुत सुंदर उपासना जी ! बहुत ही अच्छी और सच्ची रचना ! बहुत खूब !

    ReplyDelete