उसको भूलने के जूनून में ,
वे सूखे 'गुलाब '
जो उसने दिए थे कभी ,
मैंने जिन्हें रख दिया था ,
कुछ किताबो में छुपा कर ,
यादों की तरह ,
वे सूखे फूल , आज मैंने
बिखरा दिए .....
लेकिन ,किताबों के
पन्ने -पन्ने में
जो उनकी महक छुपी है ,
उनका मैं क्या करूँ .....
उन यादों की खुशबू साथ रहेगी...करना क्या है !
ReplyDeleteवे सूखे फूल , आज मैंने
ReplyDeleteबिखरा दिए .....
लेकिन ,किताबों के
पन्ने -पन्ने में
जो उनकी महक छुपी है ,
उनका मैं क्या करूँ .....
उन यादों को समेट लीजिये दिल में
खुशबू में महकती यादे हैं ...संभाल लो
ReplyDeleteकिताब के हर पन्ने को तुम जला भी डालो जो खुशबु तुम्हारे वजूद में हैं उसका क्या? बहुत खूब ..... एक अलग सा अंदाज़ आज आपका
ReplyDeleteउन यादों को संभाल लीजिये दिल में ...............
ReplyDeleteयादें हमेशा साथ रहती हैं
ReplyDeletekhushbu ki tarah unhe dil mein qaid kar len sundar abhiwykati
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा आपने .....
ReplyDeleteदिल के पन्नों मे यादों के फूल जब महक मे परिवर्तित हो जाते हैं तो ये महक जन्मों तक साथ चलती है .....इन यादों को भुलाने का जूनून कुछ काम नहीं आता और आपको कहना पड़ता है .....उनका मैं क्या करूँ .....तब आप कुछ नहीं कर सकती तब ये महक ही कुछ ऐसा करती है, कि किसी को कलाकार किसी को सन्यासी तो किसी हो कवि बना देती है ........
जब प्रेंम हुआ
ReplyDeleteसहज था
भूलोगी भी,गर
हो सहज!