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Thursday, 9 August 2012

कभी -कभी खाली घर भी बोलने लग जाता है


कभी -कभी खाली 
घर भी बोलने  लग जाता है ,
 सुन कर देखा है कभी ...!
दरवाज़े ,दीवारें और 
बंद अलमारियां भी 
गुनगुनाने लग जाती है .....
दरवाज़ों पर होली से रंगे ,
नन्हे - नन्हे हाथ 
थपथपाने लग जाते हैं ....
अलमारी में रखी ,
छोटी सी थाली ,कटोरी ,
गिलास और चम्मच के 
साथ खनखनाने लग जाती है ...
परछत्ती से कुछ खिलौने 
झाँकने लगते है ...
छोटा सा बन्दर मुहं चिढाता है तो 
एक छोटी सी लाल रंग की कार 
आगे से सर्र से निकल जाती है ....
और कभी "टिप -टिप ,चियू -चियू ..."
की जूतों में से आती 
आवाज़ की आहट पर
 पीछे मुड़ कर देखो तो ,
नज़र आते हैं दो डगमगाते ,
नन्हे -नन्हे कदम  
और अपनी  ओर बाहें फैलाते 
 दो प्यारे -प्यारे हाथ .,
और गूंज उठती है किलकारियां .......
कभी सुन कर देखो ,
खाली घर भी बोल उठते है 
कभी - कभी .....

4 comments:

  1. दो प्यारे -प्यारे हाथ .,
    और गूंज उठती है किलकारियां .......
    कभी सुन कर देखो ,
    खाली घर भी बोल उठते है
    कभी - कभी .....

    बच्चों के बगैर घर सूना सूना लगता है,,,,,
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
    RECENT POST...: जिन्दगी,,,,..

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  2. और कभी "टिप -टिप ,चियू -चियू ..."
    की जूतों में से आती
    आवाज़ की आहट पर
    पीछे मुड़ कर देखो तो ,
    नज़र आते हैं दो डगमगाते ,
    नन्हे -नन्हे कदम
    और अपनी ओर बाहें फैलाते
    दो प्यारे -प्यारे हाथ .,
    और गूंज उठती है किलकारियां .......
    कभी सुन कर देखो ,
    खाली घर भी बोल उठते है
    कभी - कभी .....
    beautiful lines

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  3. जब भी इन बच्चों के कमरे में जाओ एक आणखी ही अनुभूति होती है ....बहुत सुंदर उपासना सखी

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  4. बहुत सुन्दर प्यारी रचना...
    बच्चों की किलकारियों से घर आँगन खिल उठता है..
    जन्माष्टमी की शुभकामनाये...
    :-)

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