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Wednesday, 16 May 2012

प्रेम करने वाले एक-दूसरे को भूल जाते हैं ....

प्रेम में बिछुड़ जाने वाले 
अक्सर कहा करते हैं 
 नहीं याद करते हैं  अब
उस बेफवा  को 
भुला दिया है हमने 


कसम  भी  खाते है 
अगर वो बेवफा मिल जाये कभी -कहीं 
 गुजर जायेंगे अजनबियों की तरह ...

कितनी भी कसम क्यूँ न खाई जाये 
तलाशे जाते हैं वे सूखे फूल 
जो डायरी में रखे थे कभी
उसी बेवफा ने  दिए थे ....

जिस प्यार के रंग से रंगे  थे 
वो रंग इद्रधनुष में भी ढूंढा 
करते हैं ...
अक्सर सागर किनारे की 
लहरों में सीप ढूंढते हुए 
अपना नाम भी तलाशते हैं 
जहां  अपना नाम लिखा था
 साथ-साथ ..........

और कहते हैं भुला दिया है हमने उसको ,
तो नयनो में जो चमकता है 
उसका नाम लेने पर वह  क्या है ,
यह  शायद वो भी नहीं जानते ......
पर वे  एक दूसरे  को भूल तो जाते 
ही है ....
 शायद .........

9 comments:

  1. अक्सर सागर किनारे की लहरों में
    सीप ढूंढते हुए अपना नाम भी
    तलाशते हैं जहां उन्होंने अपना
    नाम लिखा था साथ-साथ ..........
    और वो कहते हैं भुला दिया है हमने

    खुबशुरत सुंदर अहसासों की ,..अच्छी प्रस्तुति

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बेटी,,,,,

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  2. Sachmuch ekdum sahi hai Sunder shabdo me bhavo ka yatharth chitran

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  3. जिन्दगी में इश्क का इक सिलसिला चलता रहा
    लोग कहते रोग है फिर दिल में क्यूँ पलता रहा

    जिन्दगी तो बस मुहब्बत और मुहब्बत जिन्दगी
    तब सुमन दहशत में जीकर हाथ क्यूँ मलता रहा

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    http://www.manoramsuman.blogspot.com
    http://meraayeena.blogspot.com/
    http://maithilbhooshan.blogspot.com/

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  4. ये भूलने-भुलाने का सिलसिला जब थमेगा तभी समाज में प्रेम सौहार्द्र का वातावरण बनेगा।

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  5. सटीक और यथार्थ को कहती प्रस्तुति ..... भूलने के बहाने से ही याद करते रहते हैं ॥

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  6. क्या बात कही है……सत्य

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  7. बहुत खूब! भूलना इतना आसान कहाँ होता है...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..

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