Pages

Saturday 7 April 2012

गुमान

उनको अपनी मुहब्बत
पर बहुत गुमान था ...
कहते है के , वो
हमारे प्यार में टूट
कर बिखर गए .........
काश के एक बार मुड के तो देखते
हम उनके प्यार में
ना टूट सके ,ना बिखर सके
बस पत्थर बन ,उनको जाते
 देखते रहे .........

4 comments:

  1. मार्मिक, भावपूर्ण रचना !!

    ReplyDelete
  2. बहुत खूब उपासना जी

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सुंदर भाव ...बहुत अच्छी कविता उपासना जी

    ReplyDelete