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Saturday, 25 February 2012

नर्तकी


विवाह का शानदार समारोह 
चहुँ ओर  रौशनी ,चमकीला 
शोर -शराबा और नर्तकी का 
भड़कीला नृत्य ...............
नर्तकी , निर्विकार रूप से 
संगीत पर नृत्य करती 
इधर -उधर , नज़र दौड़ाती ,
अश्लील -फब्तियों के तीरों को 
सहन करती ,..............
आखिर थक -हार के जब आईने 
के सामने आ खड़ी हुई  और 
चेहरे  से एक -एक कर के  रंग 
उतारना शुरू किया ,लेकिन उसके अंतर तक,
 एक काला रंग, जो सभ्य समाज की 
लपलपाती नज़रों का लगा था ,
 उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था .........
और जब उसे , औरतों का उसकी ओर 
नफरत और कटाक्ष भरी नज़रों से 
देखना याद आया तो आंसूओं ने ही 
सारा काज़ल धो  डाला ..........!
सूनी आँखों से सोचती रही वह, उसकी 
अपनी मजबूरी को और चल पड़ी ............


4 comments:

  1. बहुत सुदंर चित्रण .... मार्मिक ..... अति उत्तम

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    1. बहुत शुक्रिया सखी रमा........

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  2. बेहद मार्मिक चित्रण नर्तकी के दिल का

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    1. बहुत शुक्रिया .........प्रवीना जी

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