Pages

Tuesday, 24 September 2019

मत देखो नीचे

उड़ने की ठानी ही है तो
उड़ जाओ

पर फैलाओ
टिका दो
आँखे आसमान पर

मत देखो
नीचे
धरा  को

मत सोचो
धरा  के
गुरुत्वाकर्षण को

टिकेंगे जितने
तुम्हारे पैर
उतनी ही मिलेगी
 तुम्हें यह धरा

 नहीं है ये धरा
तुम्हारे रहने के लिए
तुम हो सिर्फ
आसमान की ऊंचाइयों  लिए

तलाश करो
अपने लिए
अपना एक नया आसमान

जहाँ हो,
तुम्हारे अपने ही
ग्रह -नक्षत्र
अपना ही एक सूरज
और और चाँद भी !

वहाँ
न चाँद को लगे ग्रहण
न ही सूरज को !

एक अपना
अलग ही ब्रह्माण्ड बना लो
जो हो तुम्हारा अपना ,
सिर्फ तुम्हारा !